इससे ज़्यादा तुझे और कितना करीब लाऊँ मैं,
कि तुझे दिल में रख कर भी मेरा दिल नहीं भरता।
नजर से नजर को मिलाओ नजर का ऐतबार कर,
हम तुम से सनम और तुम हम से प्यार करो,
तुम जो रूठो तो कुछ भी करके मनाएं तुमको,
हम जो पल भर को जायें तो तुम इंतज़ार करो।
छेड़ आती हैं कभी लब तो कभी रूखसारों को
तुमने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पर चढा रखा है।
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम,
कितना ख्वावों में तुझे और तलाशा जाए।
ये कैसा सिलसिला है तेरे और मेरे दरमियाँ,
फासले तो बहुत हैं मोहब्बत कम नहीं होती।
मोहब्बत बन उसकी जो तेरी परवाह करे,
प्यार बन उसका जो कभी तेरी नुमाइश न करे,
बन जा तन मन से दिल-ऐ-जान उसकी,
जो जान से भी ज़्यादा तुझसे वफ़ा करे..
अभी के लिए सो जाओ कल फिर मुलाक़ात होगी ,
लबो से ना सही तो नज़रो से बात होगी,
एक रोज़ हो जायेगे हम दोनों एक दूसरे के लिए ,
फिर हर रात हमारी इश्क़ में डूबी रात होगी।।
संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा,
मेरे इस दिल में ऐ सनम तेरे ख्वाब सजाऊंगा,
आजमा के देख ले तेरे दिल में बस जाऊंगा ,
प्यार का हूँ प्यासा तेरे आग़ोश में सिमट जाऊंगा।।