सुबह उठते ही तेरे जिस्म की खुशबू आई,
शायद रात भर तूने मुझे ख्वाब में देखा है।
जिंदगी बन गए हो तुम मेरी,
आरजू बन गए हो तुम मेरी,
मेरा खुदा माफ़ करे मुझे,
बंदगी बन गए हो तुम मेरी।
मेरे हाथों की लकीरों में समाने वाले,
कैसे छीनेंगे तुझे मुझसे ज़माने वाले।
किस किस तरह छुपाऊं अब मैं तुम्हें,
मेरी मुस्कान में भी तुम नजर आने लगे हो।
दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं,
झुकी हुयी निगाह को इकरार कहते हैं,
सिर्फ पाने का नाम ही इश्क नहीं,
कुछ खोने को भी प्यार कहते हैं।
हाल तो पूछ लूँ तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी,
जब जब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।
कुछ लिख नहीं पाते कुछ सुना नहीं पाते,
हाल-ए-दिल जुबान पर ला नहीं पाते,
वो उतर गए हैं दिल की गहराइयों में,
वो समझ नहीं पाते और हम समझा नहीं पाते।
दो चार लफ्ज़ प्यार के लेकर हम क्या करेंगे,
देनी है तो वफ़ा की मुकम्मल किताब दे दो।